Monday, February 13, 2012

प्रेस का भुत


आज कल लोगों पर प्रेस का भूत इस कदर छाया हुआ है कि वो कभी भी कुछ भी करने के लिये तैयार हो जाते हैं………वो कुछ समझते नहीं और अपने मन कि करते जाते हैं…

उदहारण के लिये ही ले लीजिये………उनका गलत समय पर गलत सवाल करना………हाल ही में मैंने एक न्यूज को एडिट किया ……… जिसमें संवाददाता……… मरने वाले के परिजन से उल्टे सुल्टे सवाल पुछे जा रहा था।

एक और उदहारण ले लिजिए………अब क्या तुक बैठता है कि अपने गाड़ी पर प्रेस लिखवाने के समय गाड़ी पर तीन बार प्रेस लिखवाना……… ऐसे कई उदहारण हैं जिसपे लोग देखते ही हंस परते हैं………।

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...