Saturday, February 5, 2011

कुत्तों की समाधी


इंसान और कुत्ते की कहानिया बड़ी पुरानी हैं, लोग बड़े जतन से इनकी देखभाल करते हैं । कुत्तों को सबसे वफादार माना जाता है और ये कभी-कभी अपनी जान देकर भी मालिक को बचाते आये हैं। सायद यही कारण है की हजारीबाग के एक पशु प्रेमी “नीलांकन चक्रवर्ती ” ने ना केवल इन्हें बड़े जतन से पाला बल्कि इनकी समाधी भी अपने घर में बना डाली है।


“नीलांकन चक्रवर्ती ” कुछ अलग किस्म के प्रेमी हैं। इनके घर में दर्जनों कुत्तों की फ़ौज हैं। वो सिर्फ उनको पालते ही नहीं बल्कि उनके मरने के बाद उनकी शव को किसी औरों की तरह कहीं और नहीं फेंकते बल्कि उनके शव को अपने ही घर के आंगन में दफ़न करते हैं और फीर उनकी समाधी बना देते हैं।

इनके घर में आधा दर्जन कुत्तों की समाधियां हैं। जहां एक और दुनिया भौतिक सुखों को तरहीज देने में जुटी है वहीं यह पशु प्रेमी चाहता है की भगवान की इस बनायी दुनीयां में सभी प्रेम से रहें।

“नीलांकन चक्रवर्ती ” के घर वाले भी उनका पुरा सहयोग देते हैं। नीलांकन जी के अब दुसरी पीढी भी इनको पालने में जुटी है।

देश भर में सड़कों पर हजारों कुत्तों की मौत रोजाना होती है। हम अपने आप में इतने व्यस्त हो गए हैं की आज गली के कुत्तों को एक रोटी भी डालने की ज़हमत नहीं करते, ऐसे में अपने घर में एक दर्जन से अधिक आवारा कुत्तों को शरण देना और मरणोपरांत भी वही आदर का भाव रखना शायद हमें ही यह सिख देने का प्रयास है की अपने आस पास के इन निरीह जानवरों को भी जीने देने में सहयोग करें।



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